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पिथौरागढ़ में पासपोर्ट सुविधा: पहल तो है, लेकिन जनता की उम्मीदें अधूरी और कार्यान्वयन नाकाफी

Updated: Nov 10

पिथौरागढ़ के नागरिकों के लिए पासपोर्ट जैसी अहम सुविधा का इंतजार लंबे समय से था। हाल ही में हमारी नगर निगम की महापौर ने यह दावा किया कि स्थानीय लोगों के लिए पासपोर्ट आवेदन अब उनके शहर में ही संभव होगा। इसके लिए एक छोटी मोबिलिटी यूनिट की व्यवस्था की गई, जिससे लोग अपने दस्तावेज जमा कर सकें और आवेदन प्रक्रिया पूरी कर सकें।


पहले तो पहल की दिशा निश्चित ही सराहनीय है। आखिरकार, यह सुविधा लोगों को दूर-दराज के शहरों – जैसे देहरादून, अल्मोड़ा या कठगोदाम – जाने की परेशानी से बचाती है। यह एक कदम था, जो अगर सही तरीके से लागू होता, तो नागरिकों के लिए वास्तव में मददगार साबित हो सकता था।


लेकिन सवाल यह है कि क्या यह योजना इतनी व्यवस्थित और सोच-समझकर बनाई गई थी? दो महीने गुजरने के बावजूद अधिकांश लोग अपनी वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। कोई पासपोर्ट अभी तक जारी नहीं हुआ। यानी सुविधा केवल नाम के लिए थी, और वास्तविक कार्यान्वयन में भारी कमी रही।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर किसी नागरिक को पासपोर्ट की तुरंत जरूरत थी, तो उसे पहले स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए था कि यह प्रक्रिया लंबी है। बिना जानकारी के कई लोग अपनी अर्जेंट जरूरतों के बावजूद आवेदन कर बैठे, और अब निराशा के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा। यह केवल योजना की लापरवाही और उचित जानकारी न देने का परिणाम है।


इसके अलावा, इस पहल के बारे में स्थानीय लोगों में जागरूकता की कमी भी साफ नजर आई। कोई प्रचार-प्रसार नहीं, कोई समय सीमा का खुलासा नहीं। ऐसे में न केवल नागरिकों को परेशानी हुई, बल्कि यह पहल जनता के बीच विश्वास खोने का कारण भी बनी।

संक्षेप में, महापौर की यह पहल केवल दिखावटी और नाम बनाने वाली साबित हुई है। वास्तविकता यह है कि योजना में सुधार, सही समय पर जानकारी, और पूरी तरह से कार्यान्वयन के बिना ऐसे प्रयास जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। पिथौरागढ़ के लोग सिर्फ फोटो और शोर नहीं चाहते, उन्हें चाहिए असली काम, समय पर, और सही तरीके से
संक्षेप में, महापौर की यह पहल केवल दिखावटी और नाम बनाने वाली साबित हुई है। वास्तविकता यह है कि योजना में सुधार, सही समय पर जानकारी, और पूरी तरह से कार्यान्वयन के बिना ऐसे प्रयास जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। पिथौरागढ़ के लोग सिर्फ फोटो और शोर नहीं चाहते, उन्हें चाहिए असली काम, समय पर, और सही तरीके से

अगर इसी तरह आधे-अधूरे कदम उठाए जाते रहे, तो जनता की उम्मीदें हमेशा अधूरी ही रहेंगी। नगर निगम को यह समझना होगा कि जनता के जीवन में बदलाव केवल दिखावे से नहीं, बल्कि सही योजना और सही क्रियान्वयन से आता है।

 
 
 

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