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“George Everest Estate का 142 एकड़ घोटाला? धामी सरकार और पतंजलि पर बड़े सवाल — क्या यह सब पहले से सेट था?”

✍️ रिषेन्द्र महर, राष्ट्रीय सचिव, युवा कांग्रेस, भारत


उत्तराखंड के इतिहास और प्राकृतिक धरोहरों में सबसे खास नामों में से एक है — George Everest Estate। देहरादून–मसूरी की इस 142 एकड़ की अनमोल पहाड़ी भूमि को सरकार ने पर्यटन विकास के लिए निजी कंपनी को लीज़ पर देने का फैसला किया। विचार अच्छा था, परिणाम अच्छे होने चाहिए थे — लेकिन जो तथ्य सामने आए, उन्होंने पूरे प्रदेश को चौंका दिया है।


तीन कंपनियाँ, तीन बोलियाँ… लेकिन सवाल एक ही — मालिक कौन?

नीलामी में तीन कंपनियाँ शामिल हुईं:

  1. Prakriti Organics – ₹51 लाख प्रति वर्ष

  2. Bharuwa Agriscience – ₹65 लाख प्रति वर्ष

  3. Rajas Aerosports – ₹1 करोड़ प्रति वर्ष (विजेता)


लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि—

  • तीनों कंपनियों में आचार्य बालकृष्ण की 51% से अधिक हिस्सेदारी बताई जाती है।

आचार्य बालकृष्ण, जो बाबा रामदेव के साथ पतंजलि समूह के मुख्य चेहरे हैं, यदि तीनों कंपनियों में निर्णायक नियंत्रण रखते हैं तो क्या यह वास्तविक प्रतिस्पर्धा थी?या यह केवल एक काग़ज़ी नीलामी थी?


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क्या यह Competition Act, 2002 का सीधे-सीधा उल्लंघन नहीं है?


इस मामले का सबसे गंभीर पहलू यह है कि तीनों कंपनियों में हिस्सेदारी इस प्रकार बताई जाती है:

  • Rajas Aerosports – लगभग 70% हिस्सेदारी आचार्य बालकृष्ण के नियंत्रण में

  • Prakriti Organics – लगभग 99% हिस्सेदारी

  • Bharuwa Agriscience – लगभग 99% हिस्सेदारी


जब बोली लगाने वाली तीनों कंपनियों पर एक ही नियंत्रक का निर्णायक प्रभाव हो, तो यह न केवल अनैतिक है बल्कि Competition Act, 2002 की भावना के विपरीत भी है।


Competition Act के अनुसार:

यदि कोई संस्था “bid rigging”, “collusive bidding” या “concerted practice” में शामिल होती है,तो यह प्रतिस्पर्धा-विरोधी (anti-competitive) माना जाता है।


तेरा बोली, मेरा बोली, सब बोली — लेकिन मालिक एक ही। ऐसी स्थिति में:

  • नीलामी निष्पक्ष नहीं रहती

  • वास्तविक प्रतिस्पर्धा समाप्त हो जाती है

  • सरकारी राजस्व को नुकसान होता है

  • और यह जनहित के खिलाफ जाता है

इसलिए यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है—

क्या George Everest Estate की नीलामी Competition Act, 2002 के तहत जांच योग्य मामला नहीं है? क्या CCI (Competition Commission of India) को स्वतः संज्ञान नहीं लेना चाहिए?

₹30,000 करोड़ का प्रोजेक्ट — ₹1 करोड़ में लीज़?


George Everest Estate की पर्यटन क्षमता अत्यधिक है।विभिन्न स्रोतों के अनुसार परियोजना की अनुमानित लागत:

  • ₹30,000 करोड़ (तीस हज़ार करोड़)

और बदले में सरकार को क्या मिल रहा है?

  • सिर्फ ₹1 करोड़ वार्षिक लीज़।

क्या यह राज्य के हित में संतुलित सौदा कहा जा सकता है?क्या उत्तराखंड की धरोहर को इतनी सस्ती दर पर सौंपना ठीक है?


George Everest Estate (picture taken in winters)
George Everest Estate (picture taken in winters)

क्या यह नीलामी पहले से सेट थी?


यदि तीनों बोली लगाने वाली कंपनियाँ एक ही कारोबारी समूह से जुड़ी हों, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है:

  • क्या नीलामी की प्रक्रिया निष्पक्ष थी?

  • क्या सरकार को कंपनियों के संबंधों की जानकारी नहीं थी?

  • क्या यह “competetive bidding” वास्तव में सिर्फ औपचारिकता थी?

  • क्या सरकार ने due diligence की?

जब परिणाम पहले से तय हों, तो प्रक्रिया महज़ ड्रामा बन जाती है।


सबसे बड़ा सवाल — कार्रवाई शून्य क्यों?


इतना बड़ा मामला, इतनी बड़ी भूमि, इतना बड़ा निवेश—लेकिन अब तक:

  • कोई विशेष जाँच नहीं

  • कोई पारदर्शिता नहीं

  • कोई सरकारी स्पष्टीकरण नहीं

जब सबकुछ साफ़ तौर पर संदेह पैदा करता है, तो सरकार चुप क्यों है?क्यों कोई मंत्री, कोई विभाग, कोई एजेंसी इसे गंभीरता से नहीं देख रही?


यह सिर्फ ज़मीन नहीं — उत्तराखंड के भविष्य का सवाल है


George Everest Estate का ऐतिहासिक महत्व है। यह प्रदेश की सांस्कृतिक, पर्यटन और पर्यावरणीय धरोहर है। ऐसी भूमि को लीज़ पर देते समय प्रक्रिया का पारदर्शी और निष्पक्ष होना अनिवार्य है।

यदि नीलामी में भाग ले रही सभी कंपनियाँ एक ही छत्रछाया में हों,तो सरकार पर सवाल उठना ही स्वाभाविक है।


युवा कांग्रेस की मांग — सच सामने लाया जाए


मैं, युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव होने के नाते, सरकार से यह मांग करता हूँ कि:

इस पूरे मामले की स्वतंत्र जाँच कराई जाए

  • नीलामी प्रक्रिया की पूरी पारदर्शिता सार्वजनिक की जाए

  • George Everest Estate के भविष्य को निजी हितों से सुरक्षित रखा जाए


उत्तराखंड के युवाओं का यह अधिकार है कि सरकारी निर्णय पारदर्शी हों। यह केवल एक नीलामी का मुद्दा नहीं — यह हमारे राज्य की पहचान और भविष्य का प्रश्न है।

 
 
 

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