top of page
Search

धामी जी, विकास नहीं हुआ… पर ऐड तो खूब चले! उत्तराखंड में हर दिन 55 लाख का ‘PR मॉडल’!

✍️ रिषेन्द्र महर

राष्ट्रीय सचिव, युवा कांग्रेस, भारत


मुख्यमंत्री जी,आपने उत्तराखंड को वाक़ई एक नया मॉडल दे दिया है—“काम कम, विज्ञापन ज़्यादा!”


हर दिन 55 लाख सिर्फ़ ऐड्स पर!


जी हाँ,उत्तराखंड सरकार हर एक दिन लगभग ₹55 लाख सिर्फ़ विज्ञापन, मार्केटिंग और PR पर खर्च कर रही है।

55 लाख रोज़! इतना पैसा तो पहाड़ के कई गाँवों का पूरा साल का विकास खा जाए।


और उधर स्वास्थ्य विभाग… 7% कटौती के बाद साँसें गिन रहा है


विज्ञापन आसमान छू रहे हैं,पर स्वास्थ्य विभाग जमीन पर गिर पड़ा है।

सरकार ने इस साल:

  • पिछले साल के मुकाबले स्वास्थ्य बजट में 7% की कटौती कर दी।

यानी जहाँ अधिक निवेश की ज़रूरत थी,वहाँ बजट ही कम कर दिया गया।

परिणाम?

  • राज्य में 33,000 बेड की भारी कमी

  • महिलाएँ अस्पतालों की फर्श पर प्रसव करने को मजबूर

  • कई जिलों में डॉक्टरों और उपकरणों का संकट


मुख्यमंत्री जी,एक तरफ़ अस्पताल खाली पड़े…दूसरी तरफ़ विज्ञापन पूरी फुल स्पीड में!


2020–21 में 67 करोड़ का विज्ञापन बजट…

और चुनाव जीतते ही 4 गुना बढ़ा दिया गया।

2020–21 में सरकार का ऐड बजट था:

₹67 करोड़

लेकिन 2022 में चुनाव जीतने के तुरंत बाद—

बजट चार गुना बढ़ा दिया गया

मतलब धामी जी ने कह दिया:“विकास तो बाद में देखेंगे,पहले जनता को विकास दिख तो जाए!”


Image showing CM Dhami's spend on Ads.                 Image Source : Rahul Kotiyal
Image showing CM Dhami's spend on Ads. Image Source : Rahul Kotiyal

विकास कम, विकास का “नैरेटिव” ज़्यादा


स्पष्ट है कि सरकार का एजेंडा यह है:

“अगर असली विकास नहीं कर पाए…तो उसके पोस्टर ही सही!”

  • TV – शानदार

  • अखबार – अद्भुत

  • होर्डिंग – ऐतिहासिक

  • ग्राउंड रियलिटी – बेहद दुखद

पहाड़ों में:

  • युवा बेरोज़गारी से त्रस्त

  • स्वास्थ्य ढाँचा जर्जर

  • प्रसूति महिलाएँ बेड के इंतज़ार में

  • डॉक्टरों की कमी

  • टूटी सड़कें

  • खाली स्कूल

लेकिन ऐड्स में उत्तराखंड —“उड़ता हुआ स्विट्ज़रलैंड”!


CM साहब से सीधा सवाल —

“क्या विज्ञापन देखकर बेड आ जाएगा?”

जब वास्तविकता यह है कि:

  • अस्पतालों में 33,000 बेड कम

  • महिलाओं को फर्श पर प्रसव करना पड़ रहा

  • स्वास्थ्य बजट में 7% कटौती कर दी गई

  • स्वास्थ्य विभाग मरते दम तक resources ढूँढ रहा

तो मुख्यमंत्री जी से जनता पूछ रही है:

क्या विज्ञापनों से इलाज हो जाएगा?
क्या PR से दवाइयाँ मिलेंगी?
क्या पोस्टर से अस्पतालों की हालत सुधरेगी?

उत्तराखंड को पोस्टर नहीं, प्रगति चाहिए।


मुख्यमंत्री जी,विकास की कहानी बजट से बनती है, बैनरों से नहीं।

जनता अब पोस्टर नहीं—काम देखना चाहती है।

 
 
 

Comments


© 2025 by Rishendra Mahar. All rights reserved.

bottom of page