देव सिंह खेल मैदान की दुर्दशा - नगर निगम की नई “कूड़ा नीति” या शहर की नई शर्म?
- Rishendra Mahar

- Nov 10
- 2 min read
पिथौरागढ़ का देव सिंह खेल मैदान, जो इस नगर की शान है, आज नगर निगम की लापरवाही और दिखावटी नीतियों की भेंट चढ़ गया है।
6 नवंबर की रात्रि और 7 नवंबर की प्रातःकाल की तस्वीरें एवं वीडियो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि नगर निगम द्वारा “नई कूड़ा निस्तारण प्रणाली” के नाम पर इसी ऐतिहासिक मैदान में जगह-जगह कूड़ा — जिसमें प्लास्टिक, रबर और अन्य अपशिष्ट शामिल हैं — जलाया गया।
जी हाँ, जिस मैदान में कभी खिलाड़ियों के कदमों से मिट्टी की खुशबू उठती थी, आज वहाँ से जहरीला धुआँ उठ रहा है।

करोड़ों की योजनाएँ, लेकिन जिम्मेदारी शून्य
नगर निगम हर माह करोड़ों रुपये कूड़ा निस्तारण पर खर्च करने का दावा करता है। लेकिन जब यही निगम शहर के सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल — देव सिंह मैदान — में खुले में कचरा जलाने लगे, तो यह केवल अक्षमता नहीं, बल्कि शहरवासियों की भावनाओं के प्रति घोर असंवेदनशीलता है।
कचरा जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसें, धूल और रासायनिक तत्व न केवल पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, बल्कि वहाँ प्रतिदिन व्यायाम और खेल के लिए आने वाले सैकड़ों नागरिकों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डालते हैं।
क्या कानून सिर्फ आम जनता के लिए हैं?
सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि खुले में कचरा जलाना दंडनीय अपराध है।तो सवाल यह उठता है — जब आम नागरिक से नियम पालन की अपेक्षा की जाती है, तो नगर निगम स्वयं कानून का उल्लंघन क्यों कर रहा है?
क्या शहर के “स्वच्छता मिशन” का अर्थ यह है कि नगर निगम कचरा उठाने के बजाय उसे शहर के दिल में ही जला दे?
देव सिंह मैदान: भावनाओं का मंदिर
यह मैदान केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं है। यह वह स्थान है जहाँ पीढ़ियाँ अपने सपनों के लिए पसीना बहाती रही हैं। यह वही भूमि है जिसने पिथौरागढ़ को सैकड़ों खिलाड़ी और सितारे दिए।
दानवीर देव सिंह मालदार जी ने यह भूमि खेलों के उत्थान के लिए समर्पित की थी - न कि नगर निगम के “प्रयोगों” के लिए।
आज इस मैदान में आग केवल कचरे की नहीं, बल्कि हमारी संवेदनाओं और सम्मान की लगाई जा रही है।

पिथौरागढ़ की जनता से मेरा प्रश्न
यदि नगर निगम आपके घर से कचरा उठाने के बजाय रोज़ आपके आँगन में उसे जला दे - तो क्या आप इसे स्वीकार करेंगे? फिर देव सिंह मैदान को क्यों बख्शा जा रहा है?
यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि हमारी अस्मिता का प्रश्न है।
हमारा स्पष्ट विरोध
हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं और नगर निगम, महापौर एवं नगर आयुक्त से तत्काल स्पष्टीकरण की मांग करते हैं।यदि इस प्रकार का प्रदूषण और लापरवाही भविष्य में दोहराई गई, तो पिथौरागढ़ के नागरिक, खिलाड़ी और खेल प्रेमी देव सिंह मैदान में आयोजित किसी भी मेले या आयोजन का पुरज़ोर विरोध करेंगे।
एक विनम्र अपील
यह मैदान केवल खेल का नहीं, बल्कि पिथौरागढ़ की पहचान का प्रतीक है।
नगर निगम से मेरा आग्रह है - “पैसे और राजनीति के खेल में हमारे खिलाड़ियों और उनके मैदान का अपमान मत कीजिए। देव सिंह मैदान हमारा गौरव है, इसे हम किसी कीमत पर कलंकित नहीं होने देंगे।”








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